दुनियाभर की तेल कंपनियों के साथ मोदी की तेल पर महाबैठक ।

नई दिल्ली – सुत्रो के अनुसार, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेल पर महाबैठक की। इंडिया एनर्जी फोरम में दुनिया और भारत की बड़ी तेल और गैस कंपनियों के सीईओज को संबोधित किया। पीएम की तेल क्षेत्र के दिग्गजों के साथ यह तीसरी सालाना बैठक हुई है। इसमें सउदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद ए अल-फलिह और संयुक्त अरब अमीरात के मंत्री उपस्थित थे। इसके अलावा प्रमुख तेल कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी और विशेषज्ञ भी बैठक में शामिल हुए। महाबैठक की प्रमुख बातें –

1- डॉलर में नहीं, रुपये में पेमेंट की पेशकश –
प्रधानमंत्री ने पेट्रोलियम उत्पादक देशों से कच्चे तेल के आयात की भुगतान शर्तों की समीक्षा पर जोर दिया ताकि आयातक देशों की स्थानीय मुद्रा को कुछ राहत मिल सके। उन्होंने सऊदी अरब से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समेत दुनियाभर की तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक में उनसे तेल की कीमत डॉलर की जगह रुपये में चुकाने की पेशकश की। उन्होंने तेल उत्पादक देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।

2- पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम की चिंता –
दरअसल, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों एवं विभिन्न वैश्विक मुद्राओं में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरावट की वजह से रुपये लगातार टूट रहा है। सरकार के पास पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को थामने के कुछ खास विकल्प बचे नहीं हैं। एनडीए सरकार ने इसी महीने डीजल-पेट्रोल के दाम में प्रति लीटर 2.50 रुपये की कटौती का ऐलान किया था। उसकी अपील पर बीजेपी शासित राज्यों ने भी 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास 10 दिनों में ही धूमिल हो गए और अब दोनों कटौतियों के बराबर दाम बढ़ चुके हैं।

3- सीईओज से सवाल –
मोदी सरकार ने 2015 में न्यू एक्सप्लोरेशन ऐंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (NELP) की जगह हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन ऐंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) लाई थी। इसके जरिए सरकार ने तेल कंपनियों को सेस के भुगतान से मुक्ति दे दी थी। साथ ही, उन्हें विदेशी तेल कंपनियों को अपनी 100% हिस्सेदारी बेचने की अनुमति भी मिल गई थी। लेकिन, इन प्रयासों के कुछ खास नतीजे नहीं दिखे। इसलिए प्रधानमंत्री ने तेल कंपनियों के सीईओज से पूछा कि पिछली बैठक में उन्होंने जो सुझाव दिए थे, सरकार की तरफ से उन पर अमल किए जाने के बावजूद तेल एवं गैस की खोज और उत्पादन क्षेत्र में नया निवेश क्यों नहीं आ रहा है।

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